स्कूल संचालकों की मनमानी से अभिभावक परेशान।

प्राइवेट स्कूल संचालकों ने कर दिया शिक्षा का व्यवसायीकरण

दिलशाद ख़ान

एलाऊ/मैनपुरी।क्षेत्र में संचालित होने वाले निजी स्कूलों के संचालको ने शिक्षा का व्यवसायीकरण कर दिया है। निजी स्कूल संचालक मनमानी करके स्कूल को संचालित कर रहे है। स्कूल के अंदर ही कॉपी, किताबो की दुकान भी संचालित हो रही है। स्कूल संचालको की मनमानी इस कदर है उनके द्वारा प्रवेश शुल्क के नाम पर भी मनमानी की जा रही है, तो अभिभावकों को स्कूल से ही पुस्तक, बैग व ड्रेस लेने के लिए मजबूर किया जा रहा है। अब अभिभावकों की मजबूरी है कि वह अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा दिलाने के लिए विद्यालय प्रबंधन की प्रत्येक मांग को पूरी करें।
गौरतलव है कि बच्चे हमारे देश का भविष्य होते है। हर किसी की इच्छा होती है कि वह अपने बच्चे को अच्छी शिक्षा दिलाकर उसे उच्च पद पर पहुंचाएं। लेकिन अभिभावको की इस इच्छा का निजी स्कूल संचालक गला घोंट रहे है। निजी स्कूल संचालको की मनमानी के खिलाफ कई अभिभावकों ने उच्चाधिकारियों से शिकायत भी थी। लेकिन नतीजा वहीं रहा ढाक के तीन पात, मार्च के महीने में तो निजी स्कूलों की मनमानी ढंग से चल रही है। इस संबंध में अगर शिक्षा विभाग ने ठोस कदम नही उठाएं तो निजी स्कूल संचालको की मनमानी और बढ़ जाएगी।

नए सत्र के नाम पर दुकानदारी:-
मार्च महीने में निजी स्कूल संचालक मनमानी की नई पराकाष्ठा लिख रहे है। निजी स्कूल संचालक स्कूल बंद की फीस की अभिभावको मांग के अलावा आने वाले महीनो की फीस भी जमा करा रहे है। स्कूल संचालक स्कूल से ही कॉपी, किताबो के बस्ते के नाम पर मोटी रकम बसूल कर रहे है।

स्कूल संचालक अभिभावक को करते है गुमराह:-
निजी स्कूल संचालक अभिभावक को गुमराह करने का काम भी कर रहे है। यह अभिभावकों को अपने-अपने स्कूल की विशेषता बढ़ चढ़कर बताते रहते हैं। यह अलग बात है कि उनके लोकलुभावन बातों में फंसकर तमाम अभिभावक अपने बच्चों का नाम ऐसे स्कूलों में लिखवा देते हैं, लेकिन अधिकतर उन्हें पछताना ही पड़ता है। अधिकांश निजी स्कूलों ने शिक्षा के मंदिर को व्यवसाय का अड्डा बना दिया है।

किताबें, ड्रेस, बैग, स्टेशनरी को करते मजबूर:-
निजी स्कूल संचालक अभिभावकों को विद्यालय से ही किताबें, ड्रेस, बैग व अन्य स्टेशनरी खरीदने के लिए मजबूर करते है। इसके लिए अभिभावकों को अधिक दाम देना पड़ता है, लेकिन उनकी ऐसा करने की मजबूरी होती है। जिन किताबों को स्कूल में बड़े कमीशन पर लगाया जाता है, वह बाजार में कहीं मिलती ही नहीं हैं। शिक्षा के व्यवसायीकरण का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि प्रधानाचार्य कक्ष से ही पुस्तकों की धड़ल्ले से बिक्री की जाती है।

क्या बोले बीएसए मैनपुरी:-
निजी स्कूलो के संचालको के द्वारा स्कूल में ही कॉपी, किताबो व ड्रेस बेचने के कार्य का मामला संज्ञान में नही है। इस मसमले में जांच कराई जाएगी। जांच में जो भी तथ्य सामने आयेगें, उसके अनुसार कार्रवाई की जाएगी। या फिर किसी स्कूल के खिलाफ साक्ष्य मिलने पर स्कूल के विरुद्ध तत्काल ही कार्रवाई की जाएगी।- कमल सिंह, बीएसए मैनपुरी।

क्या बोले डीआईओएस मैनपुरी:-
निजी विद्यालय संचालक अगर कॉपी, किताबों, स्टेश्नरी की बिक्री स्कूल से करने के मामले में किसी प्रकार की शिकायत नही मिली है। अगर इस मामले में किसी के द्वारा किसी स्कूल के नाम शिकायत की जाती है, तो उसपर जांच कराकर स्कूल के विरुद्ध कार्रवाई की जाएगी।- मनोज कुमार वर्मा, डीआईओएस मैनपुरी।