साहब नहीं होता यहां कोविड प्रोटाकाल के पालन पर जारी नियम- निर्देश, सहकारी बैंक शाखाओं में उदाशिनता के आलम का समाधान तो नही मिला किसानों को लेकिन संक्रमण से बचाव के लिए जारी निर्देश का पालन से

समर्थन मूल्य पर धान बेचने के बाद राशि निकालने के लिए किसान जिला प्रशासन के तमाम दावों पर हकीकत ने हकीकत जाहिर करनें के अलावा सहकारी बैंक शाखाओं सें अपनी उपज कि बिक्री के बाद नगद पैसें आहरण करना जंग जितने से कम नहीं है। वहीं कोविड-19 वायरस संक्रमण की बढती रफ्तार, तीसरे लहर के अंदेशे सें राहत व बचाव कार्य के नियम व कायदे जिले के सहकारी बैंकों की शाखाओं में किसानों की भीड़ जिसकदर उमड़ती है,उसको देख हकीकत पर हैरानी जताई जा सकती हैं।

वैसे एक और बड़ी बात आपको बताते चलें कि यह कोई नई समस्या या चुनौती नहीं है वरन हर हकीकत सें जगह सबकुछ पहले से जानने व समझने के बाद भी महज चंद दिनों पहले ही कलेक्टर व पुलिस अधीक्षक के द्वारा वर्तमान समय में बढ रही संक्रमण की रफ्तार पर केवल कोविड प्रोटाकाल के साथ संचालन के लिए नियमों का पालन गंभीरता से कराने के सख्त निर्देश के वावजूद किसान की मजबूरीयां व दैनिक जरूरत के लिए नगद पैसों का सहकारी बैंक शाखा में सूरजपुर जिलें के किसी भी सहकारी बैंक शाखा में कोई 25 तो कोई 15 किलोमीटर के फासले तय कर पैसा आहरित करनें के लिए पहुंचता है जहाँ अबतक संचालन में प्रबंधन की उदाशिनता बरतने सें सर्वाधिक आबादी जो ग्रामीण क्षेत्रों में निवासरत है,ऐसे क्षेत्रों में संक्रमण का विस्फोटक स्थल बतौर सामने आने का अंदेशा वर्तमान स्थिति के मद्देनजर बन सकता है।बैंक शाखाओं में व्यवस्था व सुविधाओं पर उदाशिनता की वजह से कर्मचारियों मे भी नाराजगी है लेकिन अनुशासन के नाम पर कार्यवाही का सामना करने के डर से चुपचाप कर रहाहै। जबकि इस सुविधा की एवज में बैंक प्रबंधन को सुविधा राशि बतौर करीब चार या पांच प्रतिशत राशि जारी होने के बाद भी अभी भी भवन, कर्मचारी व अन्य कमियों व स्थलों पर संचालन में सुधार लाने की जगह बहाने का अंबार तक टालमटोल तक सीमित है। अभी के हालातों के मद्देनजर हर दिन सुबह करीब 09 बजे से नगद पैसे आहरण करनें की गुरेज से संक्रमण की रफ्तार सें अवगत होने के बाद भी नगदी पैसों के आहरण में अगर जागरूक्ता के अभाव व भुगतान की तुलना में कम नगदी मिलने का बहाना बनाकर चंद किसान ही पूरे दिन तमाम सर्तकता के वावजूद किसी और की लापरवही का खामियाजा भुगत संक्रमण होने की डर के बाद भी महज 20 हजार रुपये नगद पैसे पूरी दिन की मशक्कत अधिकांशतः को मिलती हैं तो कभी कभी खाली हाथ भी लौटना पर भी अगले दिवस फिर से पहुंचकर नगद पैसों की जरूरत को पूरी करने के लिए आना जाना करता है।

उदाशिनता पर..........

वहीं इस तमाम जानकारी से अवगत होने के वावजूद सुरक्षा के मद्देनजर जारी होते निर्देशों के बीच प्रबंधन की लापरवाही व सुरक्षा के मसले पर आने वाले दिनों में खुद ही उदाशिनता पर प्रबंधन के खिलाफ कार्यवाही कर संक्रमण फैलने का स्थान की जगह बनने से पहले रोकथाम लगाया जाएगा।