सतना एईबी ने छतरपुर में 8 बर्तन निर्माता फर्मों पर मारा छापा, 3 करोड़ से अधिक के कर अपवंचन का खुलासा एक फर्म में जमा कराए 51.64 लाख, 7 को नोटिस 40 सदस्यीय टीम ने 5 दिन लगातार छापे को दिया अंजाम

सतना एईबी ने छतरपुर में 8 बर्तन निर्माता फर्मों पर मारा छापा, 3 करोड़ से अधिक के कर अपवंचन का खुलासा
एक फर्म में जमा कराए 51.64 लाख, 7 को नोटिस
40 सदस्यीय टीम ने 5 दिन लगातार छापे को दिया अंजाम

सतना राज्य कर विभाग की सतना एंटी ईवीजन ब्यूरो (एईबी) की टीम ने बर्तन निर्माण के साथ स्क्रैप विक्रय का कार्य करने वाली 8 फार्म पर छापामार कार्रवाई करते हुए 3 करोड रुपए से अधिक का कर अपवंचन पकड़ने में सफलता पाई है। छतरपुर शहर में हुई इस कार्यवाही में एक फर्म द्वारा 51 लाख 64 हजार रुपए जमा कराए गए हैं शेष 7 फर्मों को राशि जमा करने का नोटिस जारी किया गया है। 40 सदस्यीय टीम द्वारा अधिनियम की धारा 67(2) के तहत सर्च एवं सीज़र की कार्यवाही की गई। छः फ़र्म के स्टॉक सत्यापन का कार्य सोमवार तक पूर्ण हुआ। फर्म माँ बघराजन मेटल के स्टॉक सत्यापन का कार्य जारी है। आज फ़र्म के मालिक श्री हरिश्चन्द्र रावत द्वारा स्वास्थ्य खराब होने का हवाला देते हुए सत्यापन कार्य रोकने का अनुरोध करने पर 1 दिन का समय दिया गया है।पर कल पुनः कारवाई आगे बढ़ाई जाएगी। मौके पर व्यवसाय स्थल को सील कर दिया गया है।

व्यवसाइयों के द्वारा कर अपवंचन की जो क्रिया विधि अपनाई जाती है वह है :-
1. बिना बिल के रॉ मटेरियल प्राप्त कर माल का निर्माण कर बिना टैक्स इनवॉइस के सप्लाई करना।
2. मोबाइल चेकिंग के दौरान बिना टैक्स इनवॉइस के रॉ -मटेरियल की खरीदी किये जाने का तथ्य इन व्यवसाइ पर सिद्ध हो चुका है ।
3. इस प्रकार निर्मित माल को एकाउंट फ़ॉर नहीं किया जा रहा है, यह वास्तव में suppression of turnover है ।
4. बिजली बिल के आधार पर निर्माण की मात्रा में बड़ा सप्रेशन पाया गया है।
5. बिना कर अदायगी के स्क्रैप खरीद कर माल निर्मित करना एवं सप्लाई करना।
6. अनाज के वेयरहाउस में unaccounted निर्मित माल को छिपा कर रखा जाना पाया गया है।

मां बघराजन मेटल-प्रोपराइटर श्री हरिश्चंद्र रावत
इनके द्वारा पीतल स्क्रैप से बर्तन बनाने की इंडस्ट्री है । अत्यधिक मात्रा में स्क्रैप स्टॉक होने से एवं व्यवसाई द्वारा सहयोग न किए जाने से स्टॉक लेने में अत्यधिक समय लग रहा है । स्क्रैप को लेखा पुस्तकों में दर्ज नहीं किया गया है, न ही उनके खरीदी से संबंधित प्रमाण पाए गए । समस्त कार्यवाही की पूर्ण वीडियो रिकॉर्डिंग की गयी है।

वरुण एंटरप्राइजेज-प्रोपराइटर श्री विनोद कुमार रावत
इनके द्वारा मुख्यतः स्टील की टंकी का निर्माण किया जाता है। अनाज के वेयरहाउस में अतिरिक्त स्टॉक पाया गया है जो लेखा पुस्तक दर्ज नहीं है। पूर्ण वीडियोग्राफी कराई गई है ।कुल Excess स्टॉक - 6.2 टन (लगभग छह हजार किलो) अधिक है|

अवनी इंटरप्राइजेज- प्रोपराइटर - श्रीमती भारती रावत पति श्री विनोद रावत
बर्तन बड़ी मात्रा में स्टॉक पाया गया जो लेखा पुस्तक में दर्ज नहीं है। पूर्ण वीडियोग्राफी कराई गई है । इनके द्वारा मुख्यतः स्टील के कलश का निर्माण किया जाता है ।कुल Excess स्टॉक- 9.99 टन (लगभग दस हजार किलो) है , जिसमे से 8.88 टन (लगभग नौ हजार किलो) वेयरहाउस में रखे गए थे । शेष 1.1 टन (ग्यारह सौ किलो) माल फैक्ट्री प्रेमिसेस में अधिक पाया गया।उक्त के अतिरिक्त मूल्य ₹ 7 लाख का कच्चा माल भी फैक्ट्री प्रेमिसेस में अधिक पाया गया ।

रावत बर्तन भंडार-प्रोपराइटर श्री पंकज रावत
इनके द्वारा मुख्यतः स्टील एवं पीतल के बर्तनों की ट्रेडिंग की जाती है । इनके द्वारा बिना विक्रय बिल के माल बेचा जाना पाया गया है जिससे लेखा पुस्तको में दर्ज माल से लगभग राशि ₹ 3 लाख का स्टॉक कम पाया गया है ।

हजारीलाल नारायण दास-प्रोपराइटर रोहित रावत
इनके द्वारा मुख्यतः स्टील, पीतल एवं तांबे के बर्तनों का थोक विक्रय किया जाता है ।
Excess स्टॉक-दुकान/ गोदाम में लगभग राशि ₹13 लाख का माल लेखा पुस्तको से अधिक पाया गया ।
Short स्टॉक- बिना विक्रय बिलो के विक्रय किया जाता है जिससे लगभग राशि ₹ 25 लाख का बर्तनों का स्टॉक लेखा पुस्तको से कम पाया गया है ।

हजारीलाल लक्ष्मी प्रसाद रावत-प्रोपराइटर मनोज कुमार रावत
इनके द्वारा मुख्यतः बर्तनों की ट्रेडिंग का व्यवसाय किया जाता है ।
Excess स्टॉक - व्यवसायी के दुकान/गोदाम में कुल लगभग राशि रु 31 लाख के बर्तन लेखा पुस्तको से अधिक पाए गए हैं ।

श्री एसआर इंटरप्राइजेज- प्रोपराइटर प्रमोद कुमार रावत-व्यवसाई द्वारा मुख्यतः स्टील पीतल एवं तांबे के बर्तनों का विक्रय किया जाता है । व्यवसाय स्थल एवं अन्य 2 गोदामो में उपलब्ध भौतिक स्टॉक को सूचीबद्ध कर लिया गया है । मूल्यांकन किया जाना शेष है । कार्यवाही जारी है ।

जय भवानी इंटरप्राइजेज-प्रोपराइटर - कृष्ण कुमार रावत- स्टील प्लेट से गुंडी बनाने का व्यवसाय किया जाता है। लेखा पुस्तको से लगभग 91 टन कच्चा माल कम एवं लगभग 16 टन निर्मित माल अधिक पाया गया है जिसको व्यवसायी द्वारा स्वीकार कर चालान के माध्यम से राशि रु 51.64 लाख जमा करा दिए गए हैं।