चकिया- सर्किल का यह क्षेत्र बना पशु तस्करी का सेफ जोन, प्रतिदिन रात में फर्राटे भर रहे पशु तस्करों के वाहन 

चकिया- सर्किल का यह क्षेत्र बना पशु तस्करी का सेफ जोन, प्रतिदिन रात में फर्राटे भर रहे पशु तस्करों के वाहन

संवाददाता कार्तिकेय पांडेय

चकिया- सर्किल क्षेत्र के अलग-अलग इलाकों से प्रतिदिन पशु तस्करों द्वारा पशुओं को पैदल रास्ते एवं वाहनों से पशुओं को बिहार के रास्ते बंगाल भेजा जाता है। वहीं कुछ स्थानों पर सक्रिय पुलिसकर्मियों द्वारा कभी कभार छापेमारी करके पुलिस इनको पकड़ने की कोशिश करती है और कुछ जगहों पर पशु तस्कर अक्सर भाग जाए करते हैं। लेकिन सर्किल क्षेत्र में कुछ ऐसे जोन भी हैं जो पशु तस्करी के लिए सबसे ज्यादा सेफ बताए जाते हैं। यहां से हर दिन पशु तस्कर आया जाया करते हैं।

वहीं आपको बताते चलें कि सर्किल के शहाबगंज कस्बा स्थित कर्मनाशा नदी के संकरे पुल और इलिया के कुछ इलाकों से पशुओं से भरी गाड़ियां रोजाना पार हो रहीं हैं। ऐसे वाहनों की संख्या व रफ्तार काफी अधिक होती है। थाने से चंद कदमों की दूरी के बावजूद तस्करों को पुलिस का तनिक भी भय नहीं रहता। ऐसी चर्चा रहती है कि शहाबगंज और इलिया इलाका पशु तस्करी का सेफ जोन बन गया है।

शहाबगंज स्थित पुराने पुल पर बड़े वाहनों के आवागमन पर रोक लगाने के लिए लोक निर्माण विभाग ने दोनों छोर पर गर्डर लगवाया था। माल वाहकों पर प्रतिबंध लग गया था। पशु तस्करों ने गाड़ियों को पार कराने के लिए तीन महीने पूर्व पुल के पश्चिमी छोर पर लगा गर्डर उखाड़ दिया। तब से वाहन आसानी से पुल पार कर जा रहे हैं। कर्मनाशा पुल से पुलिस ने मंगलवार को पशुओं से भरी दो पिकअप वाहन को पकड़ा था, जबकि तस्कर नदी में कूद गए थे। वर्तमान समय में यह पुल सकरा होने के साथ ही जर्जर हो चुका है। चार पहिया वाहन के पुल पार करते समय जगह ही नहीं बचती। वहीं हाईवे पर सख्ती के चलते तस्करों ने रास्ता बदल दिया है। ग्रामीण मार्गों से वध के लिए पशुओं को बंगाल ले जाया जा रहा है। यूपी-बिहार बार्डर का शहाबगंज, इलिया, चकिया व नौगढ़ इलाका मुफीद साबित हो रहा है। तस्करी के खेल में स्थानीय पुलिस की मिलीभगत रहती है। पुलिसवालों से सांठगांठ होने की वजह से तस्करी बदस्तूर जारी है।

ग्रामीणों ने कहा वाहन के अलावा तस्कर बड़ी संख्या में पशुओं को पैदल बिहार सीमा पार कराते हैं। इधर बीच पशु तस्करी के मामले बढ़ गए हैं। इसकी शिकायत उच्चाधिकारियों से करने के बाद ही स्थानीय पुलिस धरपकड़ के लिए सक्रिय होती है। एक-दो तस्करों की गिरफ्तारी व कुछ पशुओं को मुक्त कराकर पुलिस कोरमपूर्ति कर लेती है।