भ्रष्टाचार का किंग डॉक्टर संदीप सिंह

जिला चिकित्सालय उमरिया का मामला

उमरिया। जिला चिकित्सालय उमरिया के तत्कालीन आरएमओ डॉ संदीप सिंह के कार्यकाल में क्रय प्रक्रिया संबंधित शासन के नियमों को ताक पर रखकर किए गए भ्रष्टाचार का बड़ा मामला प्रकाश में आया है। तत्कालीन आरएमओ जिला चिकित्सालय उमरिया डॉक्टर संदीप सिंह के कार्यकाल में जिला चिकित्सालय उमरिया की एनएचएम शाखा से किए जाने वाले क्रय हेतु ना तो क्रय आदेश जारी किए गए हैं और ना ही क्रय की गई सामग्री का विवरण स्टॉक पंजी में इंद्राज किया गया है। किसी प्रभारी के बिल में हस्ताक्षर भी नहीं रहते हैं। समस्त बिलों का आहरण डॉक्टर संदीप सिंह, वंशरूप तिवारी लेखापाल तथा सिविल सर्जन डॉ बृजेश प्रजापति के हस्ताक्षर से किया जाता है जो कि म.प्र. भंडार एवं क्रय अधिनियम द्वारा निर्धारित क्रय प्रक्रिया का खुला उल्लंघन है। क्रय प्रक्रिया का उल्लंघन इस बात का प्रमाण है कि वास्तव में सामग्री क्रय की ही नहीं जाती है तथा फर्जी बिल लगाकर राशि का आहरण कर लिया जाता है। यदि प्रशासन द्वारा वित्तीय सत्र 2017-18 से 2020-21 तक प्रत्येक वित्तीय सत्र के क्रय प्रक्रिया से संबंधित दस्तावेजों की जांच करवाई जाए तो जिला चिकित्सालय उमरिया कि एनएचएम शाखा में करोड़ों रुपए का घोटाला निश्चय ही उजागर हो सकता है।

नहीं जारी हुआ टेंडर :

जिला चिकित्सालय उमरिया की बाल गहन चिकित्सा इकाई के निर्माण (रिनोवेशन) हेतु निविदा जारी नहीं की गई है। नियमानुसार एनएचएम के अंतर्गत होने वाले निर्माण कार्य एनएचएम के उपयंत्री की देखरेख में होने चाहिए तथा माप पुस्तिका भी उपयंत्री द्वारा भरी जानी चाहिए। वंशरूप तिवारी लेखापाल एनएचएम शाखा जिला चिकित्सालय उमरिया ने बालगहन चिकित्सा इकाई से संबंधित भुगतान नोटशीट में निर्माण कार्य डॉ संदीप सिंह की देखरेख में होना बताकर कर दिया है। उक्त निर्माण कार्य की माप पुस्तिका संधारित नहीं की गई है और ना ही संबंधित बिल एनएचएम के उपयंत्री द्वारा तैयार किए गए हैं। डॉक्टर संदीप सिंह तथा लेखापाल वंशरूप तिवारी ने दुरभिसन्धि कर उपयंत्री व निर्माण प्रक्रिया को रख पर रखते हुए उक्त निर्माण कार्य कराया तथा नियम विरुद्ध निर्माण कार्य से संबंधित राशि का भुगतान किया है।

ईओडब्ल्यू ने दर्ज की थी एफआईआर :

विदित हो ये वही डॉक्टर संदीप सिंह हैं, जिनके विरुद्ध आर्थिक अपराध अन्वेषण विंग रीवा द्वारा वर्ष 2018 में लगभग एक करोड़ पचास लाख रुपये के गबन के मामले में एफआइआर दर्ज की थी। जिला चिकित्सालय की एनएचएम शाखा के भ्रष्टाचार का इतिहास भी सर्वविदित है। वर्तमान लेखापाल वंशरूप तिवारी के पूर्ववर्ती लेखापाल तुलसीराम झारिया लगभग एक करोड़ की राशि के गबन के मामले में बर्खास्त किए गए हैं। वंशरूप तिवारी भी अपने पूर्ववर्ती के पद चिन्हों पर चलते हुए प्रतीत होते हैं।

भ्रष्टाचार के संरक्षक सिविल सर्जन :

जिला चिकित्सालय की एनएचएम शाखा में व्याप्त भ्रष्टाचार के संरक्षक सिविल सर्जन डॉक्टर बृजेश प्रजापति हैं। सिविल सर्जन के संरक्षण के बिना शासन प्रशासन के नियम कानूनों की धज्जियां उड़ाते हुए मनमाने तरीके से राशि आहरित करना संभव नहीं है।

अकूत संपत्ति के मालिक! :

सिविल सर्जन डॉ ब्रजेश प्रजापति, डॉ संदीप सिंह तथा लेखापाल वंशरूप तिवारी ने जिला चिकित्सालय की एनएचएम शाखा में व्यापक पैमाने पर भ्रष्टाचार कर अकूत संपत्ति अर्जित की है, यदि लोकायुक्त व ईओडब्ल्यू जैसी संस्थाओं से जांच करवाई जाए तो इनके विरुद्ध भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम के तहत आय से अधिक संपत्ति का मामला दर्ज हो सकता है।