चकिया - 5 दिन बाद भी हेड कांस्टेबल शशिकांत सिंह के हत्या का नहीं खुला रहस्य, पुलिस रिपोर्ट दर्ज करने में भी कर रही हिलाहवाली

5 दिन बाद भी हेड कांस्टेबल शशिकांत सिंह के हत्या का नहीं खुला रहस्य, पुलिस रिपोर्ट दर्ज करने में भी कर रही हिलाहवाली

संवाददाता कार्तिकेय पांडेय

चकिया- कोतवाली अंतर्गत कौड़िहार गांव निवासी उत्तर प्रदेश पुलिस विभाग में तैनात हेड कांस्टेबल शशिकांत सिंह 44 वर्ष की हत्या के 5 दिन बाद भी खुद पुलिस महकमा एक नामजद आरोपित के विरुद्ध लिखित तहरीर दिए जाने के बाद भी आज तक मुकदमा पंजीकृत नहीं कर पाया है। ऐसे में पुलिस महकमे में सवालिया निशान लगाया जाना लाजिम है।
जी हां पूरा मामला चकिया कोतवाली के कौड़िहार गांव निवासी शशिकांत सिंह की हत्या से जुड़ा हुआ है। शशिकांत सिंह जौनपुर जिले में सराय ख्वाजा थाना में हेड कांस्टेबल के पद पर तैनात रहे। बीते 27 नवंबर को छुट्टी लेकर वह अपने घर आए हुए थे। 28 नवंबर को उनसे एक मित्रवत व्यवहार रखने वाले संतोष कुमार पांडेय उर्फ नाड़े ने 28 नवंबर को दिन में 2 बजे के लगभग उनके मोबाइल फोन पर कॉल किया कि वह चकिया चले आये। हम उनका इंतजार कर रहे हैं। वह अपनी मैरून कलर वाली होंडा स्विस कार यूपी 67 डब्लू 4346 लेकर घर से निकल पड़े, देर रात तक घर न आने पर परिजनों ने उनके मोबाइल पर फोन मिलाया मगर संपर्क नहीं हो पाय। जिस पर परिजनों ने रात में ही उनकी खोजबीन जारी की। पता न चलने पर रात्रि डेढ़ बजे के लगभग शशिकांत सिंह के गुमशुदगी का रिपोर्ट चकिया कोतवाली में उनके बड़े भाई विजय कांत यादव ने दर्ज कराई। मामला पुलिस महकमें का होने के कारण चकिया कोतवाली पुलिस ने तत्परता दिखाते हुए उनके मोबाइल नंबर को सर्विस लाइन से लगाया। लोकेशन के आधार पर जमालपुर थाना क्षेत्र के दुलहियादाई मंदिर के पहाड़ी के पास पहुंची, काफी खोजबीन के बाद लोकेशन के आधार पर कांस्टेबल शशिकांत सिंह का शव रात्रि में 2:30 बजे के लगभग मंदिर के पीछे पहाड़ी पर मिला। मृतक के सिर और मुंह पर चोट का निशान था। जिससे अंदाजा लगाया जा रहा था कि उसकी हत्या सिर पर प्रहार करने से हुई है। वही मृतक के कार को भी पुलिस ने शेरवां गांव के इंडियन बैंक के समीप से बरामद किया था। हत्या के बाद बड़े भाई विजय कांत यादव ने 29 नवंबर को मिर्जापुर जिले के जमालपुर थाना में मोबाइल पर फोन करके बुलाने वाले के विरुद्ध नामजद मुकदमा पंजीकृत कराने हेतु उन्होंने लिखित तहरीर दिया। जबकि घटना की 5 दिन बीत जाने के बाद भी अभी तक पुलिस मृतक के आरोपित के विरुद्ध मुकदमा पंजीकृत नहीं कर पाई है। तथा विजय कांत यादव का आरोप है कि आरोपित सरेआम घूम रहा है। जिससे उन्हें तथा उनके परिजनों को जान माल का खतरा बना हुआ है। आपको बता दें कि वर्ष 1982 में मृतक के चाचा श्याम नारायण की हत्या चकिया कोतवाली के लतीफशाह में गला दबाने से हुई थी। तथा 30 जनवरी 1997 को मृतक के बड़े भाई कमलाकांत सिंह को मुगलसराय में गोली मारकर हत्या का प्रयास किया गया था। इसी प्रकार वर्ष 2009 में मृतक के पाट्टीदार तेजबली को भी लतीफशाह मार्ग पर पीटकर हत्या कर दी गई थी। लगातार 38 वर्षों से इस परिवार में एक के बाद एक के हत्या का सिलसिला जारी है। मगर पुलिस अभी तक इन जघन्य अपराधों के बाद भी मामले का पर्दाफाश करने में विफल साबित होती रही है। इस मामले में जमालपुर के थानाध्यक्ष विजय सरोज का कहना है कि मृतक चकिया कोतवाली का निवासी था इसलिए मुकदमा चकिया कोतवाली में दर्ज किया जाना चाहिए।

जबकि चकिया कोतवाल रहमतुल्ला खां का कहना है कि हेड कांस्टेबल शशिकांत सिंह की हत्या जमालपुर थाना क्षेत्र में होने के कारण मुकदमा उसी थाना में दर्ज कराया जाएगा। पुलिस के इस तरह के कार्य प्रणाली से मृतक के परिजनों को न्याय से भरोसा उठता जा रहा है। वहीं पुलिस की कार्यप्रणाली पर भी सवालिया निशान लग रहा है। देखना है कि पुलिस महकमे में तैनात शशिकांत सिंह के प्रति विभागीय कर्मियों की सहानुभूति किस हद तक मामले का पर्दाफाश करने में कामयाबी दिखाती है।