महिलाओं ने उगते हुए सूर्य को दिया अर्घ्य, परिवार के सुख शांति के लिए किया कामना

महिलाओं ने उगते हुए सूर्य को दिया अर्घ्य, परिवार के सुख शांति के लिए किया कामना

संवाददाता कार्तिकेय पांडेय

चकिया -चार दिन तक चलने वाले लोक महापर्व छठ का आज यानि शनिवार को समापन हो गया। छठ व्रतियों ने उगते भगवान भास्कर को अर्घ्य दिया और परिवार के सुख- शांति व समृद्धि की कामना की। इसके साथ ही भोर से ही घाटों पर लोगों की भीड़ जुटनी शुरू हो गई थी। महिलाओं ने सूर्यदेव की उपासना के बाद पानी पीकर 36 घंटे के निर्जला उपवास खोला।
चार दिनों तक चलता है महापर्व
छठ महापर्व चार दिनों तक चलता है। नहाय खाय से इसकी शुरूआत होती है। दूसरे दिन व्रती शाम में खरना करती हैं और प्रसाद खाने के बाद उनका 36 घंटे का निर्जला उपवास शुरू हो जाता है। तीसरे दिन डूबते हुए भगवान भास्कर को व्रती अर्घ्य देती हैं। चौथे और अंतिम दिन उगते सूर्य को अर्घ्य के साथ महापर्व संपन्न हो जाता है। व्रती गंगाजल या पवित्र नदियों का जल पीकर 36 घंटे का उपवास तोड़ती हैं।

*क्यों करते हैं छठी मइया की पूजा?*
ऐसी मान्यता है छठ व्रत को करने से स्कंद माता व कुमार कार्तिकेय प्रसन्न होते हैं। पुराणों में कहा गया है कि षष्ठी देवी यानी छठी मइया ब्रह्माजी की मानस पुत्री है जिनका नाम देवसेना है। देवसेना का विवाह भगवान शिव के बड़े पुत्र कार्तिकेय के साथ हुआ है। स्कंद कुमार कार्तिकेय का दूसरा नाम है। कार्तिकेय के साथ अंक 6 बहुत ही अद्भुत संयोग है। इनका जन्म षष्ठी तिथि को हुआ था। इनके मुख भी छह है। इनका पालन पोषण भी 6 कृतिकाओं ने मिलकर किया है। इससे इनकी माता की संख्या भी मानी जाती है। यही वजह है कि छठ पूजा से कुमार कार्तिकेय प्रसन्न होते हैं।

वहीं आपको बता दें कि सखियां नगर स्थित मां काली मंदिर पोखरे पर डाला छठ पर्व के दौरान 5000 से लेकर 10000 तक के बीच में लोगों तथा श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ी रही और पूरा माहौल गुंजा में रहा वहीं छठ पर्व देखते हुए मंदिर परिसर में युगांधर सेवा समिति तथा दूसरी ओर जय मां काली सेवा समिति द्वारा सहायता शिविर लगाया गया था जिसमें अर्घ्य देने के लिए महिलाओं को गाय का दूध और पान का पत्ता उपलब्ध कराया गया। जिसके बाद महिलाओं ने पूजा पाठ करने के बाद अपने घर के लिए रवाना हुई।