लीपापोती में जुटे बीटीआर प्रबन्धन की करतूतों से रूबरू हुए फारेस्ट मिनिस्टर 

हर सवाल का एक जवाब मिनिस्टर का... तो क्या वनमंत्री से भी जानकारी छिपाता है पार्क प्रबन्धन..!

उमरिया। बाघों के लिए विश्व भर में मशहूर बाँधवगढ़ अपने आप में कई स्मृतियां समेटे हुए है, लेकिन यहां प्रबंधन की कार्यप्रणाली ने यहां की दशा और दिशा दोनों बदलकर रख दी यही वजह है कि यहां शिकारियों की सक्रियता बढ़ी तो वहीं बाघों के जीवन मे ज्यादा खलल से वे अपना क्षेत्र छोड़ने को मजबूर भी हो गए। वहीं बीते महीने पहले हुए टी 42 की मौत में जिस तरह प्रबंधन ने आनन फानन में मीडिया से दूरी बनाकर पीएम कराते हुए उसे जलवाया और बाद में गोलमोल जवाब देकर टी 42 के मौत को लेकर लीपापोती में जुटा रहा वहीं आज गुरुवार को समीक्षा दौरे पर मध्यप्रदेश सरकार के वनमंत्री विजय शाह भी बांधवगढ़ पहुंचे जहां उन्होंने ने प्रेसवार्ता कर यहां की स्थितियों के बारे में बताया लेकिन मंत्री को स्वयं ही कई ममलो की जानकारी नहीं थी जिसका उन्होंने ने सीधा प्रतियुत्तर दिया कि मामला आप लोगो के द्वारा संज्ञान में लाया गया है।

तो क्या वनमंत्री को भी जानकारी नहीं देता प्रबंधन :

जिस तरह से टी 42 बाघिन सहित उसके एक शावक की मौत हुई और उसके बाद शिकार का मामला बांधवगढ़ से हाल ही में आया है इन सभी के कई पहलुओं को लेकर वन मंत्री से प्रश्न किये गए लेकिन उनके द्वारा यही कहा गया कि उन्हें इन सबकी जानकारी नहीं है ऐसे में सवालों के घेरे में प्रबंधन ने यह साबित कर दिया कि उनके आगे मंत्री भी मायने नहीं रखते शायद यही वजह है कि वे फारेस्ट की स्थितियों से मंत्री को रूबरू नहीं कराते जिस वजह से आज वनमंत्री विजय शाह ने स्पष्ट कहा दिया कि उन्हें जानकारी नहीं हैं हालांकि वनमंत्री श्री शाह ने कहा है कि हर पहलुओं को देखा जाएगा और मीडिया से दूरियां नहीं बनाई जाएगी बल्कि उन्हें प्रेस कॉंफ्रेंस के माध्यम से जानकारी दी जाएगी।

शिकारियों के चँगुल में बाघों की नगरी :

जिस तरह से अभी शिकार का मामला आया है और भी करंट से वन्यप्राणीयों की मौत के मामले आये हैं इनमें से पार्क प्रबन्धन के उदासीनता झलक रही है, सही पेट्रोलिंग न होने से वन्यप्राणीयों के जीवन पर खतरे की छाया मंडराती रहती है तो वहीं सूत्रों की माने तो प्रबन्धन की निरंकुशता से बांधवगढ़ में शिकारियों की सक्रियता बढ़ी है।

मौत के आंकड़ों से वन्यप्रेमीयों में चिंता:

जिस तरह से बाघों और शावकों सहित अन्य वन्यजीवों के मौत हुई है इस तरह के आंकड़ों से वन्यप्रेमी चिंतित हैं, उनका मानना है कि भारी भरकम बजट के बाद भी प्रबन्धन सुरक्षात्मक दृष्टि से प्रबन्धन ढुलमुल रवैया अपनाये हुए है जहां लगातार वन्यजीवों की मौत होते चले जा रही है।

प्रबन्धन सो रहा एनजीओ चिंतित :

बीते 17 अक्टूबर को परासी बीट में जिस सोलो टी42 और उसके एक शावक के शव की बरामदगी हुई थी उसमें पार्क डायरेक्टर विंसेंट रहीम ने मीडियाकर्मियों को गोलमोल जवाब दिया फील्ड डायरेक्ट शायद यह भी कयास नहीं लगा पा रहे थे कि बाघिन की मौत कैसे हुई जबकि उसी बाघिन और शावक की रखवाली के नाम पर 8 हाथियों की फौज खड़ी कर दी गई थी तब पर भी प्रबंधन उसे बचाने में नाकाम रहा वहीं उसके बाद प्रबन्धन सोता रहा और वन्यप्राणीयों को लेकर जो कार्य उसे करना चाहिए वे उसने न किया बल्कि प्रायवेट एनजीओ WPSI के द्वारा यात्री प्रतीक्षालय और सार्वजनिक जगहों पर 25 हजार की राशि टी 42 सोलो और उसके शावक के शिकारियों की सूचना देने के लिए बतौर नोटिस चस्पा करा दी गई साथ ही यह भी लिखा गया कि सूचना देने वाले का नाम गोपनीय रखा जाएगा।

बाहरी आदमी की दख़ल..!:

खबर है कि मृत पाए गए बाघों के जिस क्षेत्र में मीडियाकर्मियों को रोक दिया जाता है उस जगह से लेकर हर जगह फील्ड डायरेक्टर के साथ उनके शासकीय वाहनों में सवार तथाकथित व्यक्ति को भी देखा जाता है ऐसे में जहां एक ओर प्रबन्धन की गोपनीयता तो भंग होती ही है साथ ही कई अन्य मामलों में प्रबन्धन की रणनीति भी सार्वजनिक हो जाती होगी जिससे पार्क के सुरक्षा व्यवस्था पर भी ग्रहण लग रहा होता है।