ऐसी क्या वजह है कि समाचार प्रकाशन के बाद बौखला जाते है कांग्रेस जिला अध्यक्ष

कोरिया 14 जुलाई। कांग्रेस पार्टी की यदि कोई नाकारात्मक खबर लगनें से कांग्रेस के कोरिया जिला अध्यक्ष क्यों बौखला जाते है, जबकि कांग्रेस पार्टी कोरिया जिले के लिए साकारात्मक खबर मे किसी भी प्रकार की प्रतिक्रिया नहीं मिलती, लेकिन नाकारात्मक खबर मे ही बौखलाना समझ से परे है। ज्ञात हो कि बिते दिनों घटती घटना अखबार व पब्लिक ऐप मे कांग्रेस पार्टी की खबर लगी थी। पब्लिक ऐस मे लगी राज्य स्तरिय खबर को जिला अध्यक्ष सहित कांग्रेसी कार्यकर्ता बैकुण्ठपुर की खबर मान कर, बिना शब्दो को समझे स्थानिय पत्रकार के विरुध पुलिस अधिक्षक से शिकायत कर दी गई तो वहीं घटती घटना अखबार मे खबर प्रकाशन को लेकर जिला अध्यक्ष नें पत्रकारों की तुलना करते हुए अपनें शब्दों मे पत्रकारों से किस प्रकार वह भेदभाव रखते है यह भी कैमरे के सामनेंं बे झिझक बोल डाले। जिला अध्यक्ष के इस बयान से यह तो साफ हो गया कि वास्तव मे जिला अध्यक्ष पत्रकारों के सांथ भेदभाव करते है। जबकि राजनिती मे तो आरोप प्रत्यारोप तो लगते ही रहते है, किन्तु किसी भी समाचार के तथ्यों को बिना जानें सोंचे समझे इस प्रकार की पत्रकार के खिलाफ खुले मंच मे बयानबाजी करना कितना उचित है यह तो समय ही बताएगा। इनके हौसलों को बढ़ानें के पिछे भी कहीं ना कहीं बुद्धजिवी पत्रकारों का भी हांथ रहता है, जिसके कारण ओहदेदार पदों पर बैठे नेता खुलेआम देश के चौथे स्तंभ के उपर किचड़ उछालनें मे तनिक भी नहीं घबराते है। जिला अध्यक्ष नें तो पत्रकारों को स्वार्थि तक कह डाला है कि कुछ स्वार्थि पत्रकार छणिक लाभ के कारण वह ऐसी खबर लगाते है ताकि उन्हे कुछ छणिक लाभ मिल सके, लेकिन वही स्वार्थि पत्रकार जब उन्ही की खबरों को कबरेज करके जनता के सामनें लाता है तब यह बयान क्यों नहीं आता की हमारे द्वारा छोटे पत्रकारो को छणिक लाभ दे कर या प्रेस वार्ता रख कर चाय बिस्किट खिलाते पिलाते है तब वह पार्टी व कार्यकर्ताओं के बारे मे साकारात्मक समाचार प्रकाशन करके जनता तक पहुंचाते है। ऐसे सफेद पोस नेता जिले मे अनगिनत है जो काले धन्धें, डराना धमकाना, सडक से किसी भी आम आदमी या शासकीय कर्मचारी को अगवा कर लेना, आधे आधे मे काम करना, शासकीय अधिटारियों को सत्ता शासन का रौब दिखा कर जबर किसी भी कार्य जो अधुरा हो उसे पुरा कागजों मे कर पैसे निकाला जैसे अनेकों अवैध कार्य खुलेआम कर रहे है, ऐसे नेताओं पर कैमरे के सामनें बयान देनेंं से क्यों कतराते है। अपनें पडोसियों की जमीनों को हडप लेना, किसी भी व्यक्ति के खिलाफ थानें मे झुठा शिकायत कर अपराध कायम करा देना, अपने जानवरों को अपना कहनें से इंकार कर देना जैसे कई उदाहरण है जिले मे इसके बाद भी बिना किसी झिझक के पत्रकारो के खिलाफ बयान देना क्या सही हो सकता है।