आखिर शासन व प्रशासन का ध्यान क्यों नही पुलिस विभाग के रीढ़ की हड्डी पर

कोरिया 09 मई। पुलिस विभाग के सबसे मजबूत पुलिस आरक्षक जिसे रीढ़ की हड्डी कहा जाता है किंतु शासन व प्रशासन क्यों रीढ़ की हड्डियों पर ध्यान नहीं दे रही है। प्रदेश के पुलिस महकमे में हजारों से अधिक आरक्षक पदोन्नति के इंतजार में हैं। लेकिन किसी न किसी वजह से इस काम में देरी हाे रही है। कभी पदों की कमी तो कभी कोई अन्य वजह बताकर इन्हें समय पर प्रधान अआरक्षक पद पर प्रमोशन नहीं मिल रहा है। विभाग के नियमानुसार आठ साल की सेवा के बाद आरक्षक से प्रधान आरक्षक पद पर पदोन्नत कर दिया जाना चाहिए। इसके बावजूद छत्तीसगढ़ में 1981 बैच के आरक्षकों की पदोन्नतिनही मिल पाया है।नियमों में विसंगति
विभाग में आरक्षकाें और अन्य पदों के लिए अलग-अलग पदोन्निति नियम बनाए गए हैं। सब इंस्पेक्टर से लेकर आईपीएस अफसर तक के प्रमोशन के लिए प्रदेश में एक ही वरिष्ठता सूची बनाई जाती है। लेकिन आरक्षकों के मामले में जिलेवार सूची बनती है। इसमें किस जिले में कितने पद रिक्त हैं, इसका ध्यान रखा जाता है। प्रदेश के विभिन्न थानों में 10 हजार से अधिक आरक्षक पदस्थ हैं। गृह विभाग सब इंस्पेक्टर व अन्य बड़े पदों पर तैनात अधिकारियों-कर्मचारियों को नियमानुसार पदोन्नति दे रहा है, लेकिन आरक्षकों के प्रमोशन हर साल अटका दिए जाते हैं। लेट-लतीफी के कारण पदोन्नति से वंचित आरक्षक मानसिक तनाव झेल रहे हैं। इसके अलावा कम वेतन के रूप में आर्थिक हानि भी हो रही है। इसके अलावा अक्टूबर 2015 में जारी की गई आरक्षकों की प्रमोशन लिस्ट में अधिकांश ऐसे आरक्षक हैं, जो 1-2 वर्ष में ही सेवानिवृत्त होने वाले हैं। जब इस बारे में उच्च अधिकारियों से बात की, तो उन्होंने पद रिक्त न होने की बात कहकर टाल गए।5 साल का है नियमप्रधान आरक्षक के प्रमोशन के लिए आरक्षक का पांच साल का सेवाकाल पूरा होना चाहिए। इसके अलावा सेवाकाल के दौरान उसे मिले इनाम और सजा का रिकॉर्ड भी देखा जाता है। अगर किसी आरक्षक को इनाम के बजाय सजा ज्यादा मिली होती है, तो उसका नाम प्रमोशन लिस्ट में नहीं आ पाता। प्रमोशन में देरी के पीछे जिला भी एक महत्वपूर्ण कारण है। प्रदेश में कोरिया सहित कई जिले ऐसे हैं, जहां कोई पुलिसकर्मी रहना ही नहीं चाहता। कोरिया सहित कई जिले ऐसे हैं, जहां से प्रधान आरक्षक ट्रांसफर लेना नहीं चाहते। इन कारणों से भी प्रधान आरक्षक के पद रिक्त नहीं हो पाते हैं।शारीरिक रूप से अस्वस्थप्रमोशन लिस्ट में शामिल कई आरक्षक तो शारीरिक रूप से पूरी तहर स्वस्थ नहीं हैं। अब उन्हें प्रमोशन के बाद नए थानों में ड्यूटी ज्वाइन करने में दिक्कत आ रही है। 58 से 60 साल की उम्र पूरी कर चुके इन आरक्षकों को प्रमोशन होने या न होने से कोई फर्क नहीं पड़ता है। प्रदेश में हुए बीते वर्ष हड़ताल के बाद नई सरकार ने जल्द ही आरक्षकों को पदोन्नत करने की बात कह चुकी थी जिसके बाद अब तक इन्हें पदोन्नति नहीं दी गई। जिससे उनका मनोबल लगातार टूटता जा रहा है।