AI गाइड लाइन सही समय पर लिया गया सही निर्णय

AI गाइड लाइन सही समय पर लिया सही निर्णय

किसी को नुकसान न पहुंचाने के सिद्धांत पर आधारित देश की सरकार ने आर्टिफिशिल इंटेलिजेंस को मर्यादित रूप से उपयोग करने के लिए कुछ गाइड लाइन्स जारी की है जो भारत के नागरिको के हितो को सुरक्छित करेगा, साथ ही ऐआई टेक्नोलॉजी को उपयोग करने के लिए भी स्वतंत्रता देगा। इसका मतलब यह है कि एआई तकनीक से किसी व्यक्ति, समुदाय या पर्यावरण को कोई नकारात्मक प्रभाव नहीं होना चाहिए। एआई का मकसद लोगों की मदद करना और उनकी जिंदगी को आसान बनाना है, न कि उनके रोजगार या सुरक्षा के लिए खतरा बनना। भारत का एआई फ्रेमवर्क पूरी तरह से मानव-केंद्रित होगा। इसमें एआई का इस्तेमाल इंसानों के हित में होगा, ताकि यह शिक्षा, स्वास्थ्य, कृषि, सुरक्षा और शासन जैसे क्षेत्रों में सुधार ला सके। इन गाइडलाइंस में एआई डेवलपर्स और कंपनियों के लिए सात सिद्धांत और छह बड़े गवर्नेंस पिलर शामिल किए गए हैं। इनमें डेटा प्राइवेसी की सुरक्षा, एल्गोरिदम में बायस रोकना, जवाबदेही तय करना और साइबर सुरक्षा सुनिश्चित करना प्रमुख बिंदु हैं। इससे यह तय होगा कि एआई सिस्टम पारदर्शी, निष्पक्ष और लोगों के भरोसे के लायक हों। नई गाइडलाइंस का दृष्टिकोण यह है कि वर्तमान कानूनी ढांचे में लचीलापन अपनाते हुए AI से जुड़े नए मुद्दों को संबोधित किया जाए। इसके तहत सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000; डिजिटल व्यक्तिगत डेटा संरक्षण अधिनियम, 2023; और उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 जैसे मौजूदा कानूनों का पुनर्परिभाषण किया जाएगा। एआई से जुड़े पूर्वाग्रह, गलत सूचना और डेटा दुरुपयोग जैसे उभरते मुद्दों को ध्यान में रखते हुए इन कानूनों की व्याख्या को अद्यतन करने की बात कही गई है।आईटी अधिनियम की धारा 79 के अंतर्गत ?सेफ हार्बर? के दायरे में आने वाले ऑनलाइन प्लेटफॉर्म अभी तक केवल थर्ड पार्टी कंटेंट होस्ट या ट्रांसमिट करने वाले माध्यम माने जाते थे। लेकिन अब गाइडलाइंस सुझाव देती हैं कि जो एआई सिस्टम स्वतः जानकारी उत्पन्न या संशोधित करते हैं, उन्हें भी इस परिभाषा में लाया जाए या फिर उन पर अलग उत्तरदायित्व निर्धारित किया जाए। इससे यह तय किया जा सकेगा कि ऐसे एआई सिस्टम कानून के प्रति उत्तरदायी होंगे या नहीं।गवर्नेंस फ्रेमवर्क यह भी स्पष्ट करता है कि डेटा सुरक्षा, उपभोक्ता अधिकारों और साइबर सुरक्षा नीतियों के बीच समन्वय आवश्यक है। गाइडलाइंस में एआई मॉडलों की पारदर्शिता और स्पष्टता को प्राथमिकता दी गई है, साथ ही जोखिम-आधारित अनुपालन को बढ़ावा देने की बात कही गई है। उच्च जोखिम वाले एआई सिस्टम्स की राष्ट्रीय रजिस्ट्री बनाने का सुझाव भी दिया गया है, जिससे उनकी निगरानी और नैतिक उपयोग सुनिश्चित किया जा सके।सरकार ने डीपफेक और आर्टिफिशल इंटेलिजेंस के जरिये तैयार सामग्रियों की भरमार पर लगाम लगाने के लिए कुछ खास दिशानिर्देश जारी किए हैं। उपसमिति ने कहा है कि दुर्भावनापूर्ण मीडिया समग्री तैयार करने के लिए फाउंडेशन मॉडलों के दुरुपयोग से सुरक्षा के लिए कई कानूनी उपाय मौजूद हैं। उसने संकेत दिया है कि डीपफेक और दुर्भावनापूर्ण सामग्रियों की पहचान के लिए उचित व्यवस्था होनी चाहिए। इसके लिए सामग्री तैयार करने वालों, उसे प्रका​शित करने वालों और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म जैसे विभिन्न प्रतिभागियों की वि​शिष्ट पहचान साझा की जानी चाहिए। सरकार की मंशा AI को हर छोटे बड़े शहरो तक पहुंचना है जिससे इसका सदुपयोग भी किया जा सके और दुरूपयोग को रखा जा सके। साथ ही जिम्मेदारी भी फिक्स की जा सके। हाल ही में एक कम्पनी ने AI से रिपोर्ट तैयार कर लाखो रूपये लिए लेकिन सच्चाई सामने आने बाद वो रुपया वापस करना पड़ा। इस गाइड लाइन में ये भी कहा है की जरुरत पड़ने पर क़ानूनी उपाय भी लाये जायेगे।

डॉ राजेश भंडारी
अस्सिटेंट प्रोफेसर
इंदौर इंस्टिट्यूट ऑफ़ मैनेजमेंट एन्ड रिसर्च
9009502734