बीटीआर में प्रबंधन की सह पर चल रहा टिकट के कालाबजारी का खेल ! न नियम और न कायदे, फ़ोन पर होती है टिकटों की बुकिंग...

बाँधवगढ़ टाइगर रिसर्व दुनिया भर में बाघों के सर्वाधिक घनत्व और प्रजनन दर के कारण जितना मशहूर है, शायद टिकट के कालाबाजारी और भ्रष्टाचार के लिए भी उतना मशहूर होता चला जा रहा है. सूत्रों के अनुसार बीटीआर में प्रबंधन के सह पर वीवीआईपी कोटे से लेकर सामान्य टिकटों के कालाबाजारी का खेल चल रहा है और इससे पर्यटकों को मायूस होकर लौटना पड़ता है य फिर टिकट की खरीद फ़रोख़्त दलालों के माध्यम से निर्धारित दर से लगभग 2-3 गुने पैसे देकर की जाती है.

विकाश शुक्ला/उमरिया। बीटीआर जितना मशहूर है आसानी से बाघों के दीदार के लिए शायद अब उतना ही मशहूर हो रहा है भ्रष्टाचारी और टिकट कालाबाजारी के लिए। सूत्रों की मानें तो रात दो बजे से लाइन में लगने वालों को टिकट मिलने की गारण्टी भले ही न हो लेकिन बांधवगढ में संचालित रिसोर्टो और पार्क प्रबंधन के कृपापात्र दलालों से सांठ-गांठ होने के कारण पर्यटकों को निर्धारित दर से लगभग 2 से 3 गुने पैसे देकर टिकट ली जा सकती है। मिली जानकारी अनुसार बीटीआर में टाइगर सफारी, जॉयराइड और पर्यटक टिकट यह सब एनटीसीए नियमों और कायदों को दर किनार करते हुए पार्क प्रबंधन अपने चहेतों के अतिथियों को उपलब्ध करा रहे हैं।

कतार में लगने के बाद नहीं मिलती टिकट :

सैलानियों के अत्यधिक भीड़ हो जाने के कारण दूरदराज से आए सफारी करने वाले सैलानियों को टिकट लेने के लिए 2 बजे रात से लेकर घण्टों टिकट काउण्टर के कतार में खड़े रहना पड़ता है, जहां वे अपने बच्चों के साथ इस उमीद में खड़े रहते है कि उन्हें टिकट मिल जाएगी, लेकिन शायद उन्हें नहीं पता कि प्रबंधन के सह पर चल रहे टिकट के काले खेल और वीआईपी के नाम उन्हें टिकट के लिए मना कर दिया जाता है, वहीं पार्क प्रबंधन अपने कृपापात्रों को टिकट फोन द्वारा ही उपलब्ध करा देता है, उनके लिए लाइन नही है यही नहीं जब पर्यटकों द्वारा उपरोक्त ब्यक्ति और टिकटों के बारे मे पूछा भी जाता है तो प्रबंधन के द्वारा आसानी से कह दिया जाता है कि वीआईपी में दिया गया.

दीवारों पे चस्पा दिखावे का नोटिस :

वैसे तो टिकट काउंटर के दीवारों पर प्रबंधन ने बकायदा नोटिस चिपका रखा है की टिकट के लिए पर्यटक का ही लाइन में लगना अनिवार्य है अपने हस्ताक्षर से चस्पा किए हुए नोटिस का ख़्याल शायद प्रबंधन को भी नहीं है, महज दिखावे के लिए इस नोटिस को चस्पा किया गया है और नियम-कायदों को ताक में रख वीआईपी के नाम पर फोन पर से टिकटों की बुकिंग करा दी जाती है.

VIP के नाम पर टिकट का काला खेल..! :

जब पर्यटकों के द्वारा यह पूछा जाता है कि वीआईपी कौन है, कहा से आए हैं?इसका निर्देश बताया जाए तो प्रबंधन के लोग मौन हो जाते हैं. पर्यटको की माने और राजपत्र वीआईपी सूची के निर्देश यदि पढ़ा जाए तो कही ऐसा निर्देश नही है की किसी भी व्यक्ति को वीआईपी कह कर फोन से टिकट दे दिया जाए कानून सबके लिए समान है केवल कुछ प्रोटोकॉल अधिकारी हैं, जिनका टिकट से कोई लेना देना नही उनके नियम अलग है, किन्तु बीटीआर में वीआईपी के नाम को बदनाम कर टिकट की कालाबाजारी का खेल जारी है.

खाली टिकट कतार में लगे पर्यटकों का :

माह सितम्बर मे मुख्यमंत्री के समक्ष मीटिंग में साफ कहा गया था जो भी टिकटे खाली होंगी उनको लाइन में लगे पर्यटकों को वितरण की जाएगी कोई वीआईपी नहीं होगा और पर्यटकों को अधिक से अधिक टिकट उपलब्ध कराई जाएगी लेकिन पार्क प्रबंधन बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व शायद इन बातों को भूल चुका है वहीं यदि पर्यटन राजपत्र उठाकर पढ़ा जाए उसमें किसी भी बात का ऐसा जिक्र नहीं है कि फील्ड डारेक्टर की कोटे की टिकट फोन से अथवा वीआईपी कह कर किसी को भी दे दी जाएं.

बिना टिकट भी प्रवेश करतें है कुछ वाहन :

बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में महज टिकट तक ही भ्रस्टाचार सीमित नहीं है, बल्कि कुछ सरकारी वाहन हैं जो बगैर टिकट के पार्क के अंदर प्रवेश करती हैं जिनमें ना कोई वीआईपी होते हैं ना कोई सरकार की अनुमति होती है और न ही प्रबंधन के वे लोग जो बाघ सुरक्षा में निगरानी के लिए जा रहे होते हैं. यदि राजपत्र में पारित नियमों को देखा जाय तो साफ शब्दों में लिखा है कि बगैर अनुज्ञा पत्र की कोई भी व्यक्ति अंदर प्रवेश नहीं कर सकता, लेकिन सूत्रों की मानें तो बाँधवगढ़ टाइगर रिजर्व के भीतर आए दिन लगभग चार-पांच गाड़ियां बगैर टिकट के पार्क में प्रवेश करती है जो कि पार्क प्रबंधन की मर्जी के अनुसार प्रवेश करती है, कहने को तो उपरोक्त वाहन सरकारी है किंतु पर्यटन सफारी का कार्य करती है जो गेट पर अलग से रखे रजिस्टर में इंट्री कर प्रवेश करती है लेकिन उनके पास कोई अनुज्ञा पत्र नहीं होता और ऐसे लोगों को हाथियों का भी उपयोग करने के लिए दिया जाता है. ग़ौरतलब है कि मध्य प्रदेश सरकार हो चाहे भारत सरकार कितना भी ठोस कदम भ्रष्टाचार अधिकारियों के खिलाफ क्यों न उठा ले लेकिन अधिकारी कहीं ना कहीं से कोई ना कोई उपाय कालीकमाई के लिए जरिया ढूंढ ही लेता है.

इन्होंने कहा -

हमें क्षेत्र संचालक के निर्देश आते हैं और मोबाइल पर मैसेज टिकट देने वाले के नाम आते हैं, हम उपरोक्त आधार पर टिकट वितरण करते है.
श्रीमती बीनू सिंह गहरवार, तत्कालीन पर्यटन प्रभारी